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Showing posts from June, 2018

पुण्यतिथि विशेष: 'हमारा देश, हमारा राज' की भावना का अनुसरण करने वाले बिरसा मुंडा

पुण्यतिथि विशेष : ' हमारा देश , हमारा राज ' की भावना का अनुसरण करने वाले बिरसा मुंडा   मृत्युंजय कुमार छोटानागपुर का इलाका   उलिहातू झारखण्ड राज्य में स्थित है। यह वहीं जगह है जहाँ क्रन्तिकारी और वीर सपूत   09 जून 1875   को को भगवान बिरसा मुंडा अवतरित हुए थे। जन्म तिथि 15   नवम्बर 1875   पिताजी का नाम सुगना मुंडा माताजी का नाम करमी हातू नारा ‘ आबुआ राज सेतेर जना , महारानी राज तुंडु जना ’ प्रमुख आंदोलन उलगुलान [1] मृत्यु 09 जून 1900 मेरे विचार से मात्र 25 साल की उम्र में बिरसा मुंडा के समझ को देखें तो यह आश्चर्य ही है कि समाज को उन्होंने सूक्ष्म तरीके से समझा ही नहीं बल्कि समुदाय को समझाने में भी सफल हुए। एक विचारक समाज सुधारक , समाजिक दर्शन और समाज सुधार के प्रति उनकी सजगता समय से काफी आगे था।   यही कारण है कि समाजिक समस्याओं और स्थानीय ...

विश्व महासागर दिवस

8 जून 2009 को पहला विश्व महासागर दिवस मनाया गया था।  तभी से  प्रतिवर्ष 8 जून को विश्व महासागर दिवस मनाया जाता है। यह दिवस सन 1992 में रियो डी जनेरियो में हुए पृथ्वी ग्रह नामक फोरम में प्रतिवर्ष विश्व महासागर दिवस मनाने निर्णय लिया गया था जिससे महासागरों के प्रति जागरूकता बढ़ाया जा सकें।   सन 2008 में संयुक्त राष्ट्र संघ के ओर से  इस संबंध में आधि‍कारिक मान्यता दिए जाने के बाद यह प्रारम्भ हुआ।  वर्ष 2017 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme) ‘हमारे महासागर’ हमारे भविष्य’ (Our Oceans, Our Future) है। महासागर पृथ्वी  के मौसम को निर्धारित करने में भूमिका निर्वाह करता है।  महासागरीय जल की लवणता और विशिष्ट ऊष्माधारिता का गुण पृथ्वी के मौसम को प्रभावित करता है।  पृथ्वी की समस्त ऊष्मा में जल की ऊष्मा का विशिष्ट भूमिका होती है।   आवश्यकता से अधिक  विशिष्ट ऊष्मा के कारण दिन में सूर्य की ऊर्जा का बहुत बड़ा भाग समुद्री जल में समाहित हो जाता है, जिससे  अधिक विशिष्ट ऊष्माधारिता से महासागरीय  ऊष्मा सचित होती जाती है। इसी कारण  विश्...

एक जिंदगी : स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री

जब पूरा विश्व भ्रष्टाचार के विरुद्ध एकजुट हो रहा है वैसे परिदृश्य में स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री को याद करना स्वाभाविक है। कुछ दिन पहले पूरे बिहार में उनका जयंती लोगों ने बड़ी धूमधाम से मनाया। इसी संदर्भ में मैंने सोचा उनके जीवन के उन पहलूओं पर प्रकश डाला जायें जिससे अधिकतर लोग अनभिज्ञ हैं। राज्य सभा में पहले अनुसूचित जाति से बनने वाले प्रतिपक्ष के नेता , बिहार राज्य के तीन बार मुख्यमंत्री , अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आयोग के पहले अध्यक्ष के साथ - साथ दो बार केंद्रीय मंत्री भी थे। जब राजनीति में पूँजी का महत्व बढ़ता जा रहा है , यह सोचने के लिए पूरे भारतीय समाज को मजबूर होना पड़ेगा क्यूँकि शास्त्री जी झोपड़ी वाले मकान से निकलकर उसी मकान में अंतिम साँस लेकर इस दुनिया से चले गए। उनके   जयंती पर आज यह कहना बिलकुल सही होगा स्वार्थविहीन , लोक कल्याण , मानव अधिकारों , सादगी और सच्चाई आज के राजनीति को नहीं उस राह पर चले की आव...