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विश्व महासागर दिवस

8 जून 2009 को पहला विश्व महासागर दिवस मनाया गया था।  तभी से  प्रतिवर्ष 8 जून को विश्व महासागर दिवस मनाया जाता है। यह दिवस सन 1992 में रियो डी जनेरियो में हुए पृथ्वी ग्रह नामक फोरम में प्रतिवर्ष विश्व महासागर दिवस मनाने निर्णय लिया गया था जिससे महासागरों के प्रति जागरूकता बढ़ाया जा सकें।   सन 2008 में संयुक्त राष्ट्र संघ के ओर से  इस संबंध में आधि‍कारिक मान्यता दिए जाने के बाद यह प्रारम्भ हुआ।  वर्ष 2017 में इस दिवस का मुख्य विषय (Theme) ‘हमारे महासागर’ हमारे भविष्य’ (Our Oceans, Our Future) है। महासागर पृथ्वी  के मौसम को निर्धारित करने में भूमिका निर्वाह करता है।  महासागरीय जल की लवणता और विशिष्ट ऊष्माधारिता का गुण पृथ्वी के मौसम को प्रभावित करता है।  पृथ्वी की समस्त ऊष्मा में जल की ऊष्मा का विशिष्ट भूमिका होती है।   आवश्यकता से अधिक  विशिष्ट ऊष्मा के कारण दिन में सूर्य की ऊर्जा का बहुत बड़ा भाग समुद्री जल में समाहित हो जाता है, जिससे  अधिक विशिष्ट ऊष्माधारिता से महासागरीय  ऊष्मा सचित होती जाती है। इसी कारण  विश्व भर में मौसम असंतुलित होने से बचता है।  पृथ्वी पर जीवन के लिए औसत तापमान बना रहता है, जो हमारे लिए जरूरी है। महासागरों में बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय बनता जा रहा है। अरबों टन प्लास्टिक का कचरा हर साल महासागर में डाला जाता है या स्वतः नदियों द्वारा समाहित होता जा रहा है। तटीय स्थित  क्षेत्रों में  मैन्ग्रोव जैसी वनस्पतियों से संपन्न वन और यहीं  मैन्ग्रोव समुद्र के अनेक जीवों के लिए नर्सरी बनकर विभिन्न जीवों को आश्रय देता है।  अपने आरंभिक काल से आज तक महासागर जीवन के विविध रूपों को संजोए हुए हैं। महासागर पृथ्वी के सबसे विशालकाय जीव व्हेल से लेकर सूक्ष्म जीव को रहने के लिए आवास  देता है।  एक अनुमान के अनुसार समुद्रों में जीवों की करीबन दस लाख प्रजातियां मौजूद हैं।

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