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विनम्र श्रद्धांजलि : अटल बिहारी वाजपेयी

भारत रत्न और तीन बार प्रधानमंत्री रहे अटल बिहारी वाजपेयी का निधन गुरुवार शाम 5.05 को हुआ जो राष्ट्र के लिए  अपूरणीय क्षति है। जनता और जनतंत्र के बीच एकीकरण में अटल एक ऐसे प्रधानमंत्री थे, जिनका असर  विपक्षी दलों पर भी पड़ा था।  राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए उन्होंने कभी भी अपने दल को नहीं छोड़ा जो आज के लिए बहुत ही प्रासंगिक है।  सैद्धांतिक प्रतिबद्धता को उन्हनें राजनीतिक प्रतिबद्धता के साथ जोड़ा, जो कि समकालीन राजनीति के लिए महत्वपूर्ण है।

वे 1996 में मात्र तरह दिनों के लिए प्रधानमंत्री बने थे। पुनः 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। यह कार्यकाल भी मात्र तरह महीनों का रहा। तेरह उनके जिंदगी में बेहद महत्वपूर्ण रहा है।  

आरम्भिक जीवन

अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म  25  दिसंबर  1924  को मध्य प्रदेश राज्य के ग्वालियर में हुआ था। कल उन्होंने अंतिम साँस एम्स के अस्पताल में अगस्त 16, 2018 को लिया जब उनकी उम्र मात्र  93 वर्ष ही था।

भारत वर्ष के  दसवें प्रधानमंत्री बने थे जो इस बात का गवाह भी है कि मृदु भाषी और समावेशी व्यक्तित्व का ही परिणाम था।

वे पहले 16 मई से 01 जून 1996 तक, पुनः  19 मार्च 1998 तक रहे जो काफी अल्प - अवधि का ही रहा लेकिन पुनः जनमानस के समर्थन से पांच वर्षों के लिए   22 मई 2004  तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।

तेरह दिन, तेरह महीना और पांच वर्षों के लिए क्रमशः तीन बार प्रधानमंत्री बनना शायद अटल जी के विशाल व्यक्त्तिव और दूरदर्शी राजनीति का ही परिणाम था। दल में रहकर दलगत भावनाओं के स्थान पर राष्ट्रीय मूल्यों को तरजीह दिया जो यह दिखता है कि उनके विचारों में राष्ट्र का अवधारणा समाहित था। बिहार विभाजन के समय धुर विरोधी लालू प्रसाद जैसे नेताओं को अपने कुशल व्यवहार से ही बिहार विभाजन पर सहमति बनीं। उस समय यह कार्य आसान नहीं था क्यूंकि लालू जी अपने स्वभाव से कठोर थे। राजनीति में आम सहमति आवश्यक है क्यूंकि अंतिम रूप से प्रत्येक दल का एक ही कार्य है - राष्ट्र का विकास और समाज में अंतिम पायदान पर खड़े इंसान को समाज के मुख्यधारा में शामिल करना।

एक राजनीतिज्ञ अगर कवि हों तो स्वाभाविक भी है कि उनके विचारों में खुलापन होगा।  हिंदी कवि और पत्रकार होने के कारण कई बार अपने सरकार का भी आलोचना करते थे जो मजबूत लोकतंत्र का एक लक्षण भी है।


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