न्याय जब नहीं मिलेगा
तो
इंसान ही इंसान को खा जायेगा
न्याय अगर बदलेगा अन्याय में
मालूम नहीं क्या होगा
जो जुल्म ढाहा है हमने प्रकति पर
प्रकृति ने सबक सिखाया है
इंसान चुप रहता है
जुल्मों का दास्ता देखकर
हम चालाक हैं
होशियार हैं
समझदार हैं
हम तो इंसान हैं
कोई मरता है तब जब कोई मारता है
इंसान है हम
संस्कृति बनायी
सभ्यता आगे बढ़ायी
अब हर कोई लाचार है
क्यूंकि हर कोई समझदार है
इंसान अगर इंसान नहीं होता
जुल्म का इतिहास नहीं होता
अगर हम होशियार नहीं होते
तो
जरूर सवाल करते
अगर सवाल करते
तभी जबाब देता
मुश्किलों में साथ होते
कभी पराधीन नहीं होते
टुकड़ों में बटा समाज
इंसान को भी एक टुकड़ा बना दिया
अगर होशियार नहीं होतें
तब हदें भी पता होता
दूसरों के दुखों का आनंद नहीं लेते
अगर हम होशियार नहीं होते
तो
इंसान ही इंसान को खा जायेगा
न्याय अगर बदलेगा अन्याय में
मालूम नहीं क्या होगा
जो जुल्म ढाहा है हमने प्रकति पर
प्रकृति ने सबक सिखाया है
इंसान चुप रहता है
जुल्मों का दास्ता देखकर
हम चालाक हैं
होशियार हैं
समझदार हैं
हम तो इंसान हैं
कोई मरता है तब जब कोई मारता है
इंसान है हम
संस्कृति बनायी
सभ्यता आगे बढ़ायी
अब हर कोई लाचार है
क्यूंकि हर कोई समझदार है
इंसान अगर इंसान नहीं होता
जुल्म का इतिहास नहीं होता
अगर हम होशियार नहीं होते
तो
जरूर सवाल करते
अगर सवाल करते
तभी जबाब देता
मुश्किलों में साथ होते
कभी पराधीन नहीं होते
टुकड़ों में बटा समाज
इंसान को भी एक टुकड़ा बना दिया
अगर होशियार नहीं होतें
तब हदें भी पता होता
दूसरों के दुखों का आनंद नहीं लेते
अगर हम होशियार नहीं होते
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