भारतीय समाज में जाति का राजनीतिकरण में चुनाव प्रणाली का बड़ा ही महत्व है। इस परिप्रेक्ष्य में अगर गुजरात राज्य के विधनसभा चुनाव का विश्लेषण करें तो पूरा चुनाव आज पिछड़ी जातियों के इर्द - गिर्द ही केंद्रित है। यह भी आश्चर्य कि बात है भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अमित शाह स्वयं वैश्य समुदाय से हैं। भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी भी पिछड़ी जाति से हैं। काँग्रेस का आरोप है कि मोदी ने सत्ता में आने के बाद अपनी जाति को अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) में शामिल करा दिया था। हालाँकि अपनी सफाई में गुजरात सरकार ने बताया कि घांची समाज को 1994 से गुजरात में ओबीसी का दर्जा मिला हुआ है। नरेंद्र मोदी इसी घांची जाति के हैं। घांची जिन्हें अन्य राज्यों में साहू या तेली के नाम से जाना जाता है, पुश्तैनी तौर पर खाद्य तेल का व्यापार करने वाले लोग हैं। गुजरात में हिंदू और मुस्लिम दो धर्मों को मानने वाले घांची हैं। इनमें से उत्तर पूर्वी गुजरात में मोढेरा से ताल्लुक रखने वालों को मोढ घांची कहा जाता है। जाने माने सामाजिक वैज्ञानिक अच्युत याग्निक कहते हैं कि यह कहना गलत...