इस
लेख का शृंखला चुनाव तक चलता रहेगा।
हिमाचल प्रदेश एक ऐसा राज्य है जहाँ भारत के अधिकांशतः लोग जरूर जाते हैं।
हिमाचल प्रदेश से गुज़रती है।
यह राज्य भारत
के पर्यटकों के लिए बहुत ही खूबसूरत, मनोरम
और आकर्षक स्थल है। हिमालय पर्वत श्रृंखला की सबसे बड़ी और सबसे ऊंची चोटी इसी राज्य में अवस्थित है। हिल स्टेशनों वाला यह राज्य भारत के दिलों में अपना अलग ही पहचान बनाता है। शिमला, हिमाचल प्रदेश की राजधानी है। 1864 में, शिमला को भारत में ब्रिटिश राज की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित किया गया था। एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल, शिमला को अक्सर पहाड़ों की रानी के रूप में जाना जाता है।[1]
हिमाचल
की खुशबू को लोगों से जोड़ने के लिए और पहाड़ों
की सैर को पर्यटकों को बढ़ाने के लिए राज्य
सरकार द्वारा 'हिम आयुष वेलनेस सेंटर' स्थापित
करने की दिशा में सराहनीय प्रयास भी किया जा रहा है। केरल राज्य मॉडल के अनुसार पंचकर्मा तथा राजस्थान के बिहड़ों में भुनाए गए पर्यटन
की भांति राज्य सरकार भी 'हिम आयुष' को आगे
बढ़ाना चाहती है। हिम आयुष वेलनेस केंद्र से सुप्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में पर्यटन विकास
निगम इकाई द्वारा जिला कांगड़ा के धर्मशाला-मैक्लोडगंज तथा सोलन के बड़ोग में यह केंद्र
या सेंटर खुलेगा। इससे रज्य का विकास भी होगा और अर्थव्यवस्था में भी गति आएगी। 'विंटर
पर्यटन सीजन' भी इसकी गति को तेज करेगा। अनुकूल जलवायु के कारण यहां विभिन्न प्रकार
के पौधे उगते हैं जो आयुर्वेद विज्ञान को बहुत आगे बढ़ा सकती है। हर्बल संस्कृति के
केंद्र अगर इस राज्य को बनाया जाता है तो विश्व में अपना अलग पहचान भी बना सकता है। हिमाचल के गर्म, ठंडे तथा विभिन्न तापमान वाले क्षेत्रों
में उगने वाली जड़ी-बूटियों को भी सरकार मेडिकल पर्यटन को भी बढ़ा पायेगी और राजस्व में
भी वृद्धि हो पायेगी। आयुर्वेद फार्मेसी को उद्योग में परिवर्तित कर देने से मेडिकल
टूरिज्म या स्वास्थ्य पर्यटन का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र का निर्माण सम्भव है। भारत सरकार
भी आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी आदि पद्धतियों
के विकास के लिए प्रतिबद्ध है। इस तरह के उद्योगों से वहीं के रहने वाले किसानों को
बहुत लाभ भी मिलेगा।[2]
बर्फीली
वादियों वाला राज्य अब राजनीतिक रूप से काफी गर्म है। हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य
का दर्जा 25 जनवरी 1971 को मिला। 25 जनवरी 1971 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी
ने शिमला आकर इतिहासिक रिज मैदान पर भारी बर्फबारी के बीच हिमाचल वासियों के समक्ष
हिमाचल प्रदेश का 18 वें राज्य के रूप में
उद्घाटन किया। 1 नवम्बर 1972 को कांगड़ा ज़िले के तीन ज़िले कांगड़ा, ऊना तथा हमीरपुर
बनाए गए। महासू ज़िला के क्षेत्रों में से सोलन ज़िला बनाया गया।[3] ईमानदारी
और सादगी के प्रतीक बिहार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री स्वर्गीय भोला पासवान शास्त्री
जिस प्रकार तीन बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी अपना घर तक नहीं बनाया ठीक उसी प्रकार
हिमाचल राज्य के निर्माता और पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार भी कोई मकान नही बनवाया, कोई वाहन नही
खरीदा, अपने परिवार के किसी व्यक्ति या रिश्तेदार को प्रभाव से नौकरी नही लगवाया और
जब वह मुख्यमंत्री नही थे तो सामान्य बस मे सफर करते थे। यह अजीब संयोग है दोनों राज्यों
के मुख्यमंत्री का जीवन उच्च मानदंड और मूल्यों को आज के राजनीति में क्या पुनर्जीवित
किया जा सकता है ? इसका उत्तर तो पाठक भी दे पायेगें। हिमाचल प्रदेश में दो राष्ट्रिय
दलों के प्रभारी और सह प्रभारी अभी बिहार राज्य के ही हैं। इसी लिए तुलना करना भी आवश्यक
था।
श्याम
सिंह रावत के लेख हिमाचल और डॉ. यशवंत सिंह
परमार की संघर्ष गाथा को पढ़ा। उन्हें साथ में धन्यवाद भी देता हूँ उनके लेख के कारण
ही परमार जैसे महान व्यक्तित्व को समझने में काफी मदद मिली। पर्वतीय क्षेत्रों के सीधे,
सच्चे, सरलमना तथा प्रकृति की गोद में पले आमजन के प्रति डॉ. परमार की निष्ठा, लगन,
समर्पण और सेवाभाव इतना उच्चस्तरीय था कि तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी
भी अभिभूत होकर कह उठी थीं—“डॉ. परमार की हिमाचल और पहाड़ी लोगों के लिए चिंतित एक समर्पण
की कहानी भी है और यह दूसरों के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण भी है।”[4]
जनांकिक
भारत की 2011 जनगणना के अनुसार हिमाचल प्रदेश की कुल जनसंख्या 68,64,602 है। इनमें पुरुषों की जनसंख्या 34,81,873 तथा महिलाओं की जनसंख्या 33,82,729 है। 2011 की जनगणना आंकड़ों के अनुसार हिमाचल प्रदेश का लिंग अनुपात 972/1000 और साक्षरता दर 82.8% है।
क्र.सं
|
जिला
|
क्षेत्रफल किमी² मे
|
जनसंख्या
|
मुख्यालय
|
1
|
1,167
|
382,056
|
||
2
|
6,528
|
518,844
|
||
3
|
1,118
|
454,
293
|
||
4
|
5,739
|
1,507,223
|
||
5
|
6,401
|
84,298
|
||
6
|
5,503
|
437,474
|
||
7
|
13,835
|
31,528
|
||
8
|
3,950
|
999,518
|
||
9
|
5,131
|
813,384
|
||
10
|
2,825
|
530,164
|
||
11
|
1,936
|
576,670
|
||
12
|
1,540
|
521,057
|
(विकिपीडिया
से यह जानकारी ली गयी है।)
जनसंख्या, दशकीय वृद्धि की प्रतिशतता तथा औसत वार्षिक घातीय वृद्धि दर, 1991 - 2001 तथा 2001 -2011
राज्य
|
भारत / राज्य
|
कुल जनसंख्या
|
प्रतिशत दशक वृद्धि
|
औसत वार्षिक घातीय वृद्धि दर
|
|||
2001
|
2011
|
1991-2001
|
2001-2011
|
1991-2001
|
2001-2011
|
||
भारत
|
1,02,87,37,436
|
1,21,01,93,422
|
21.54
|
17.64
|
1.97
|
1.64
|
|
02
|
हिमाचल प्रदेश
|
60,77,900
|
68,56,509
|
17.54
|
12.81
|
1.63
|
1.21
|
स्रोत : जनगणना 2011: कुल अस्थायी जनसंख्या – भारत
डा.
प्रदीप कुमार के लेख जनगणना संबंधी आंकड़ेः दो दशकों का तुलनात्मक विश्लेषण बहुत ही
तथ्यों से भरा और विश्लेषण भी काफी अच्छा है। डॉक्टर कुमार ने कहा है हिमाचल में वर्ष 2001-2011 के दशक में जनसंख्या
वृद्धि दर पिछले दशक 1991-2001 की तुलना में 4.72 प्रतिशत कम रही। इस दशक में महिलाओं
की जनसंख्या वृद्धि दर पुरुषों की तुलना में पिछले दशक से अधिक रही। इस दशक में महिलाओं की जनसंख्या वृद्धि दर पुरुषों
की तुलना में पिछले दशक से अधिक रही। इसी कारण इस दशक में लिंग अनुपात में काफी सुधार
हुआ। यह वर्ष 2001 में प्रति हजार 968 था, जो कि वर्ष 2011 में बढ़कर 974 हो गया। इसमें
कोई संदेह नहीं कि वर्ष 1991 में लिंग अनुपात 976 प्रति हजार था, परंतु वर्ष 2001 में
इसमें गिरावट आ गई थी, परंतु सरकार की महिला सशक्तिकरण की नीति की ओर ध्यान देने के
कारण वर्ष 2001 की तुलना में वर्ष 2011 में लिंग अनुपात में छह प्रति हजार के हिसाब
से सुधार हुआ।
हिमाचल
में कुल साक्षरता दर में निरंतर वृद्धि हो रही है। इस वृद्धि का मुख्य कारण है कि
1991 से 2001 के दशक के दौरान पुरुषों की साक्षरता दर में 9.94 प्रतिशत, परंतु महिलाओं
की साक्षरता दर में 15.27 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इसी प्रकार वर्ष 2001 से 2011 के
दशक में पुरुषों की साक्षरता दर में 5.53 प्रतिशत तथा महिलाओं की साक्षरता दर में
9.2 प्रतिशत की वृद्धि हुई। इस दशक तथा पिछले दशक में भी महिलाओं की साक्षरता दर में
पुरुषों की तुलना में अधिक वृद्धि हुई। वास्तव में पुरुष तथा महिलाओं दोनों की साक्षरता
दर में वृद्धि के कारण कुल साक्षरता का ग्राफ बढ़ रहा है। जनसंख्या के घनत्व के संबंध
में हिमाचल राज्य की स्थिति इस दशक में काफी बेहतर है। इस राज्य में जनसंख्या का घनत्व
1991 में 93 प्रति वर्ग किलोमीटर था, जो कि 2001 में 109 तथा वर्ष 2011 में 123 प्रति
वर्ग किलोमीटर हो गया। इस प्रकार इस दशक में पिछले दशक की तुलना में जनसंख्या घनत्व
में कम वृद्धि हुई। यदि हिमाचल राज्य के वर्ष 2011 के जनगणना के आंकड़ों की भारत से
तुलना करें, तो हिमाचल की तस्वीर उभर कर आती है। डॉक्टर कुमार के विश्लेषण से एक बात
स्पष्ट हो जाती है की महिलाओं ने अपने अधिकारों को समझा। महिलाओं के साक्षरता दर बढ़ना
ही अन्य राज्यों से इसे अलग करता है। इससे यह भी पता चलता है की इस प्रदेश में आने
वाले समय में महिलाओं के हाथ में सत्ता केंद्रित होगी। जब एक महिला शिक्षित होती है
तो पूरा परिवार शिक्षित होता है और इससे समाजिक विकास में भी काफी मदद मिलती है। महिलाओं
के प्रति होने वाली हिंसा भी मात्रा भी कम होती है। डॉक्टर अंबेडकर ने 20 जुलाई, 1942 को नागपुर में बाबासाहेब ने अखिल
भारतीय शोषित वर्ग महिला सम्मेलन का आयोजन किया था जिसमे कहा था - किसी भी समुदाय की प्रगति महिलाओं की प्रगति से
आंकी जाती है। इसीलिए इस संदर्भ में हिमाचल प्रदेश एक प्रगतिशील राज्य है। हाल में
ही गुड़िया प्रकरण जिला पार्षद नीलम सरईक ने इस मुद्दे को सबसे पहले उठाया। नीलम सरईक जैसे महिलाओं से सीख लेने की जरूरत है
जिन्होनें महिलाओं के अधिकारों के लिए ग्राम पंचायत से जिला पार्षद तक राजनीतिक नेतृत्व
किया।
हिमाचल प्रदेश में महिला शिक्षा के कारण ही महिला सशक्तिकरण भी देखने को मिला। गुड़िया गैंगरेप मामले के विरोध में आज शिमला बंद का ऐलान किया गया है। रेप और हत्या के विरोध में आज सड़कों पर लोग उतर आए हैं। हिमाचल सरकार ने पुलिस एसआईटी के तीन सदस्यों का तबादला कर दिया है जो मामले की जांच कर रहे थे। दो हफ्ते पहले 10वीं की एक छात्रा को लिफ्ट देने के बहाने छह लोगों ने जबरन कार में बिठाया और उसका गैंगरेप किया। उसके बाद उसे जंगल में मारकर फेंक दिया। दो दिनों बाद जब उसका शव बरामद हुआ तो इलाके में हडकंप मच गया। मामले में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया। तीन हज़ार लोगों की भीड़ ने थाने पर धावा बोला। स्थानीय स्वशासन गाँधी जी का स्वप्न था। उस स्वप्न को नीलम सरैइक, इंदु वर्मा, रेखा मोघटा वंदना मेहता, रीना ठाकुर जैसे महिलाओं के कारण ही उसका विकास हो रहा है। जिला परिषद की बैठक में गुड़िया प्रकरण की खूब गूंज रही थी, क्युँकि नीलम सरैइक जैसे महिला जिला उस परिषद की सदस्या थी। जिला परिषद की बैठक यह मुद्दा उठा और कहा कि यदि पुलिस ने इस मामले को सही से डील किया होता तो आज यहां यह नौबत न आती।[5]
जिला परिषद सदस्य नीलम सरैइक ने शुक्रवार को बैठक में यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि आज शिमला जिला में कानून व्यवस्था की जो स्थिति बिगड़ी है, उसके लिए पुलिस प्रशासन ही दोषी है। उन्होंने कहा कि सरकार ने अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपी है और उम्मीद है कि वह इस मामले की असलियत सामने लाएगी। नीलम सरैइक ने कहा कि पुलिस प्रशासन की नाकामी से सारी स्थितियां खराब हुई हैं और इसके लिए डीजीपी और एसआईटी के सदस्यों पर कार्रवाई की जानी चाहिए और उन्हें सस्पेंड किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोटखाई में पुलिस लॉकअप में एक आरोपी की हत्या हो जाती है और उसके बाद हिंसा भड़की। उन्होंने कहा कि कोटखाई का माहौल क्यों भड़का और उसके लिए कौन दोषी है, इस पर तो कोई कार्रवाई नहीं हो रही, लेकिन थाने फूंके जाने के मामले में पुलिस तेजी से कार्रवाई में लगी है और 48 लोगों की सूची बनाई जा चुकी है। उन्होंने कहा कि सीबीआई को को गुड़िया प्रकरण से जुड़े सारे मामलों की जांच करनी चाहिए।[6]
शिमला में की शांत वादियां तब जल उठती हैं जब महिलाओं से अन्याय होता है।
हिमाचल प्रदेश में हिन्दुओं की संख्या कुल जनसंख्या का 90 प्रतिशत है और मुख्य समुदायों में ब्राह्मण, राजपूत, कन्नेत, राठी और कोली हैं। हिमाचल प्रदेश में विधानसभा चुनाव का ऐलान हो गया है. राज्य में एक ही चरण में वोट डाले जाएंगे। विधानसभा की 68 सीटों वाले हिमाचल प्रदेश में 9 नवंबर को वोटिंग होगी और 18 दिसंबर को नतीजे आएंगे। यह चुनाव देश की दो बड़ी पार्टियों कांग्रेस और बीजेपी के लिए बेहद अहम है। लगभग पूरे देश में कमजोर हो चुकी कांग्रेस के सामने हिमाचल प्रदेश में सत्ता बचाने की चुनौती है तो बीजेपी के सामने अपने विजय अभियान को जारी रखने का मौका है। इस राज्य के विधानसभा चुनाव इतिहास पर नजर डालें तो यहां बीजेपी और कांग्रेस बारी-बारी से सत्ता का स्वाद चखती रही हैं। यानी इस राज्य में लंबे समय से दोनों में से कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार सत्ता में नहीं आ पाई है। राजनीति के जानकार मानते हैं कि इस राज्य में जातीय समीकरण बड़ा ही दिलचस्प है। यहां राजपूत और ब्राह्मण वोटर सबसे ज्यादा हैं। ऐसे में दोनों राजनीतिक दलों ने शुरू से ही इन्हीं दोनों जातियों पर अपना फोकस कायम रखा है। राज्य में बीजेपी और कांग्रेस के स्टार नेताओं की लिस्ट पर भी नजर डालें तो यहां भी ब्राह्मण और राजपूत समाज के ही लोग नजर आते हैं।[7]
हिमाचल प्रदेश में जातिगत समीकरण कुछ इस प्रकार है :
राजपूत = 38 प्रतिशत
ब्राह्मण = 18 प्रतिशत
दलित = 27 प्रतिशत
पिछड़ी तथा अन्य जातियां = 16 प्रतिशत
मुस्लिम = 1 प्रतिशत
2008 के परिसीमन के बाद से हिमाचल प्रदेश विधानसभा के लिए कुल 68 सीटों पर चुनाव होते हैं। 17 निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं और 3 निर्वाचन क्षेत्र अनुसूचित जनजाति के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं।[8]
निर्वाचन क्षेत्र
निर्वाचन क्षेत्र संख्या
|
नाम
|
आरक्षित (अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति
|
जिला
|
लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र
|
१
|
अनुसूचित जाति
|
|||
२
|
चंबा
|
|||
३
|
चंबा
|
कांगड़ा
|
||
४
|
चंबा
|
कांगड़ा
|
||
5
|
चंबा
|
कांगड़ा
|
||
6
|
कांगड़ा
|
|||
7
|
अनुसूचित जाति
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
|
8
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
||
9
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
||
10
|
कांगड़ा
|
|||
11
|
कांगड़ा
|
हमीरपुर
|
||
12
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
||
13
|
अनुसूचित जाति
|
कांगड़ा
|
हिमाचल
|
|
14
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
||
15
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
||
16
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
||
17
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
||
18
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
||
19
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
||
20
|
अनुसूचित जाति
|
कांगड़ा
|
कांगड़ा
|
|
21
|
||||
22
|
मंडी
|
|||
23
|
कुल्लू
|
|||
24
|
कुल्लू
|
|||
25
|
अनुसूचित जाति
|
कुल्लू
|
||
26
|
अनुसूचित जाति
|
|||
27
|
मंडी
|
|||
28
|
अनुसूचित जाति
|
मंडी
|
||
29
|
मंडी
|
|||
30
|
मंडी
|
|||
31
|
मंडी
|
|||
32
|
मंडी
|
|||
33
|
मंडी
|
|||
34
|
अनुसूचित जाति
|
मंडी
|
||
35
|
मंडी
|
|||
36
|
अनुसूचित जाति
|
हमीरपुर
|
||
37
|
हमीरपुर
|
हमीरपुर
|
||
38
|
हमीरपुर
|
हमीरपुर
|
||
39
|
हमीरपुर
|
हमीरपुर
|
||
40
|
हमीरपुर
|
हमीरपुर
|
||
41
|
अनुसूचित जाति
|
हमीरपुर
|
||
42
|
उना
|
हमीरपुर
|
||
43
|
उना
|
हमीरपुर
|
||
44
|
उना
|
हमीरपुर
|
||
45
|
उना
|
हमीरपुर
|
||
46
|
अनुसूचित जाति
|
बिलासपुर
|
हमीरपुर
|
|
47
|
बिलासपुर
|
हमीरपुर
|
||
48
|
बिलासपुर
|
हमीरपुर
|
||
49
|
बिलासपुर
|
हमीरपुर
|
||
50
|
सोलन
|
शिमला
|
||
51
|
सोलन
|
शिमला
|
||
52
|
सोलन
|
शिमला
|
||
53
|
अनुसूचित जाति
|
सोलन
|
शिमला
|
|
54
|
अनुसूचित जाति
|
सोलन
|
शिमला
|
|
55
|
अनुसूचित जाति
|
सिरमौर
|
शिमला
|
|
56
|
सिरमौर
|
शिमला
|
||
57
|
अनुसूचित जाति
|
सिरमौर
|
शिमला
|
|
58
|
सिरमौर
|
शिमला
|
||
59
|
सिरमौर
|
शिमला
|
||
60
|
शिमला
|
शिमला
|
||
61
|
शिमला
|
शिमला
|
||
62
|
शिमला
|
शिमला
|
||
63
|
शिमला
|
शिमला
|
||
64
|
शिमला
|
शिमला
|
||
65
|
शिमला
|
शिमला
|
||
66
|
अनुसूचित जाति
|
शिमला
|
शिमला
|
|
67
|
अनुसूचित जाति
|
शिमला
|
||
68
|
किन्नौर
|
Bahut hi gyanvardhak lekh hy..aisi lekhni ab bahut kam hi dekhne ko milti hy..gyanvardhan ke ly lekhak ko dhanyawad gyapit krta hu
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