लोकतंत्र
का एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया : चुनाव
चुनाव एक पर्व है जो लोगों
को राजनीतिक निर्णय लेने का अधिकार देता है।
एक ओर एक नागरिक और एक मत का सिद्धांत
राजनीतिक रूप से समान बना देता है वहीं दूसरी ओर आर्थिक संसाधनों का आसमान वितरण चुनावी
राजनीति को असमान बना देता है।
भारत जैसे विशाल जनसंख्या वाले राष्ट्र में प्रत्यक्ष
लोकतंत्र सम्भव नहीं है इसीलिए हमारे संविधान निर्माताओं ने अप्रत्यक्ष लोकतन्त्र को
अपनाया। पहले दल या पार्टी के द्वारा प्रत्याशियों का चयन होता है, फिर उसी प्रत्याशियों
में से नागरिकों द्वारा चयन किया जाता है। हाँ एक बात अच्छी है आप स्वतंत्र रूप से
भी बिना राजनीतिक प्रतीक ( चुनाव चिन्ह ) के भी चनाव लड़ सकते हैं। 18 वर्ष का कोई भी
व्यक्ति अपना मत दे सकता है लेकिन उसका नाम मतदाता सूची में होना चाहिए।
विशेष जानकारी
प्रश्न 1: प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए मतदाताओं की एक सूची होती है, जिसे निर्वाचक नामावली कहते हैं। निर्वाचक नामावली में नाम लिखवाने के लिए न्यूनतम आयु क्या है ?
उत्तर : अठारह। प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक मतदाता सूची होती है। संविधान के अनुच्छेद 326 और लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 19 के अनुसार मतदाता के रजिस्ट्रीकरण के लिए न्यूनतम आयु 18 वर्ष है।
प्रश्न 2 : क्या भारत में मतदान की न्यूनतम आयु 18 वर्ष प्रारम्भ से ही थी ?
उत्तर : नहीं। पहले मतदाता के रजिस्ट्रीकरण के लिए आयु 21 वर्ष थी। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 को संशोधित करने वाले 1989 के अधिनियम 21 के साथ पठित संविधान के 61वें संशोधन अधिनियम, 1988 के द्वारा मतदाता के पंजीकरण की न्यूनतम आयु को 18 वर्ष तक कम कर दिया गया है। इसे 28 मार्च, 1989 से लागू किया गया है।[1]
चुनाव आयोग के अनुसार, भारत संसदीय प्रणाली के साथ - साथ संवैधानिक लोकतंत्र भी है। प्रत्येक पाँच वर्षों के अंतराल पर चुनाव होता है। सरकार अगर बहुमत सिद्ध करने में नाकामयाब हों तो बीच में ही गिर भी सकती है। लोकसभा यानि निम्न सदन अस्थायी होता है मगर राज्य सभा यानि उच्च सदन स्थायी होता है। इसीलिए कोई भी विधेयक या बिल लोकसभा समाप्त होते ही खत्म हो जाता है लेकिन राज्य सभा में ऐसा नहीं होता है।
भारत के राष्ट्रपति,
उप-राष्ट्रपति, लोकसभा, विधानसभा और राज्य
सभा के लिए भारत निर्वाचन आयोग चुनाव आयोजित करता है वहीं राज्य चुनाव आयोग स्थानीय स्वशासन
जैसे ग्रामपंचायत, नगरपालिका, महानगर परिषद्,
तहसील एवं जिला परिषद् का चुनाव आयोजित करता है। भारत के संविधान के अनुच्छेकद
324(1) के अन्तर्गत, भारत निर्वाचन आयोग के पास अन्यों के साथ-साथ भारत के राष्ट्रपति
और उप-राष्ट्रपति के पदों के निर्वाचन आयोजित करने के संचालन, निदेशन और नियन्त्रण
की शक्ति निहित है। विस्तृत उपबन्ध राष्ट्रपतीय और उपराष्ट्रपतीय निर्वाचन अधिनियम,
1952 व उसके अधीन बनाए गए नियमों के अन्त र्गत किए गए हैं।
राष्ट्रपति
/ उप-राष्ट्रपति / राज्यपाल के पद के चुनाव के लिए न्यूनतम आयु 35 वर्ष है। लोक सभा या विधान सभा का अभ्यर्थी होने
के लिए न्यूनतम आयु २५ वर्ष है। सांसद (लोकसभा)
/ विधान सभा के सदस्य बनने के न्यूनतम आयु
25 वर्ष है। सांसद (राज्य सभा) / विधान परिषद के सदस्य के रूप में चुनाव के लिए न्यूनतम
आयु 30 वर्ष है। संविधान के अनुच्छेद 84(B)
में यह प्रावधान है कि लोक सभा निर्वाचन हेतु अभ्यर्थी होने के लिए न्यूनतम आयु
25 वर्ष होगी। लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 36(2) के साथ पठित संविधान के
अनुच्छेद 173(B) के द्वारा विधान सभाओं के अभ्यर्थी होने के लिए यही प्रावधान है।
चुनाव प्रणाली के केन्द्र में चुनाव आयोग है जिसका मुख्य कार्य यह है कि नियमित, स्वतंत्र,
भयरहित एवं निष्पक्ष चुनाव कराना। ये निर्वाचन क्षेत्र की संरचना, संसद के दोनों सदनों, राज्यो एवं संघ
राज्य-क्षेत्र की विधान सभाओं की सदस्यता, और राष्ट्रपतित्व एवं उप-राष्ट्रपतित्व का
निर्धारण करना भी इसी की जिम्मेदारी है। अनुच्छेद 324 के अंतर्गत ही निर्वाचन और संवैधानिक
उपबंध हैं जिसे लोक प्रतिनिधित्वक अधिनियम, 1950 के द्वारा लागू किया जाता है। लोक
प्रतिनिधित्वक अधिनियम, 1950, जो मुख्यतया निर्वाचक नामावलियों की तैयारी एवं पुनरीक्षण
से सबंधित हैं, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 जिसमें निर्वाचनों के संचालन और निर्वाचन
उपरांत विवादों के सभी पहलुओं का विस्तृत विवरण है। भारत के उच्चतम न्यांयालय ने अभिनिर्धारित
किया है कि जहां निर्वाचनों के संचालन में किसी दी गई स्थिति से निपटने के लिए अधिनियमित
कानून चुप है या अपर्याप्ता उपबंध किए गए हैं तो निर्वाचन आयोग के पास उपयुक्त तरीके
से कार्रवाई करने के लिए संविधान के अधीन अवशिष्ट शक्तियां हैं।[2]
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