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आरक्षण और आरक्षित वर्ग

पूरे हिंदुस्तान में जब हर जाति आरक्षण मांगने लगे और नहीं देने पर हर चौक - चौराहे पर प्रदर्शन प्रारम्भ हों जाएँ तो क्या होगा। मात्र पंद्रह प्रतिशत ही आरक्षण से बाहर है। पचासी प्रतिशत को आरक्षण मिल चुका है। क्रीमी लेयर सिर्फ पिछड़ी जातियों में लागू है। दलित नेताओं का भी मानना है - सम्पन्न वर्ग आरक्षण गैस सब्सिडी के तरह छोड़ दें या चौथी पीढ़ी के बाद नहीं मिलें। राष्ट्रीय जनता दल के प्रमुख लालू प्रसाद ने प्रदेश में सत्तारूढ़ जदयू के दो नेताओं द्वारा दलितों और महादलितों की ओर प्रति पार्टी के रवैये पर असंतोष जताये जाने का समर्थन करते हुए आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार आरक्षण विरोधी रहे हैं।[1] (01 November, 2017 )
अब मराठा, पाटीदार, गुज्जर, जाट जैसे समुदाय आरक्षण को मुद्दा बना रहे हैं। गुजरात चुनाव में आरक्षण मुद्दा है लेकिन दलितों पर हुए हिंसा आज भी मुद्दा नहीं है। इसी रफ्तार से आरक्षण पर राजनीति होती रही तो दो बातें होगी। प्रथम सभी जातियों को आरक्षण मिलेगा। द्वितीय - आरक्षण ही समाप्त होगा।
मान लेते हैं आरक्षण सभी जातियों को दे दिया जाता है तो क्या होगा ?

उत्तर - सभी को जब आरक्षण मिल जायेगा तब भी यहीं कहा जायेगा आरक्षण सभी समस्याओं का समाधान नहीं है। सरकार को भी काफी सतर्क होना पड़ेगा। योग्यता के मुद्दे पर यह कहा जायेगा कि आरक्षण से योग्यता का कोई संबंध नहीं है। समाजशाष्त्री और राजनीतिक चिंतक अपने तर्कों और कुतर्को से सिद्ध कर देगें। अगर कोई यह कहता है आरक्षण से योग्यता पर असर होता है तब यह कहा जायेगा भाग्य से अधिक और समय से पहले किसी को भी कुछ आजतक नहीं मिला है। अगर इस तरह के बातों से यह कहा जा सकता है की यह भाग्यवादी विचार है तब क्या होगा।
अगर आरक्षण समाप्त होगा तो ?
प्रगतिशील समाज का निर्माण होगा जिसमें हर कोई बराबर होगा। सम्पन्न और विपन्न समाज के बच्चों को अंग्रजी शिक्षा में पढ़ने का अवसर मिलेगा। फ़ीस प्रत्येक बच्चों का सरकार वहन करेगी। संस्कृति, सरदार पटेल, गोयनका जैसे विद्यालयों को हटाकर सब बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ेगें। संसाधन पर सभी का अधिकार होगा। जातिगत हिंसा रूक जाएगी। भारत खुशहाली के सूचकांक में सबसे ऊपर होगा। गैर बराबरी खत्म होगी। महिलाओं को भी आरक्षण नहीं देना पड़ेगा। प्यार, स्नेह, ख़ुशी, भाईचारा बढ़ेगा और नफरत, क्रोध, घृणा, हिंसा, अत्याचार, शोषण खत्म हो जायेगा। सबसे अच्छा अनुसंधान और अविष्कार सिर्फ भारत में ही होगा। राजनीति से जाति हट जाएगी और विकास का नारा बुलंद होगा। नई दुनिया और नई सोच से समाज का निर्माण होगा।
लेकिन कोई व्यक्ति जब यह कह दें, ये सब ठीक है राज्य मेरे निजी जीवन में हस्तक्षेप नहीं करेगा। शादी तो जाति में ही करूगां तब क्या होगा। सरकार इससे होने वाले घटना को आखिर कैसे रोक पायेगी।
कोई यह कह दें परम्परा पर हमला है तब ?

कोई यह कह दें सब ठीक है शादी के मुद्दे को हटाकर ?

कोई यह कह दें मेरे बच्चे गरीब के बच्चे के साथ नहीं पढ़ेगें ?

कोई यह कह दें सबको अगर बराबरी का अधिकार होगा कोई मेहतन ही क्यों करेगा ?

प्रतियोगिता से समाज आगे बढ़ता है और पर्तिस्पर्धा से समाज विकसित होता है। बराबरी का सिद्धांत से पर्तिस्पर्धा रूकेगी और पर्तिस्पर्धा रूकने से खोज और अविष्कार नहीं होगें।
अगर आर्थिक बराबरी हो गयी तो पूंजीपतियों का क्या होगा ? कानून  -  व्यवस्था के लिए तो खतरा हो जायेगा। विश्व के संस्थान में क्या पूंजीविहीन समाज का निर्माण होगा अगर नहीं हुआ तो भारत दुनिया में अलग - थलग पड़ जायेगा।
प्रतिष्ठा का आखिर क्या आधार होगा ? चूँकि जाति तो है ही नहीं ऐसे हालत में शिक्षा एक माध्यम हो सकता है। लेकिन शिक्षा में कोई ऊपर होगा तो कोई नीचे होगा। इसीलिए शिक्षा को छोड़ दिया जाएँ। फिर कोई कहेगा ऐसा करते हैं - मनुष्य के ज्ञान को पैमाना बनाते हैं। फिर कोई कहेगा ज्ञान का पैमाना जो बनाएगा वो तो अपने पक्ष में ही बना देगा। फिर क्या होगा ?////////

कोई फिर यह कह दें भाई इतना क्यों सोचें ?

देखो भाई जाति तो वेद में नहीं है। इसीलिए तो स्वामी दयानन्द सरस्वती ने कहा था - वेदों की ओर लौटो। भाई ऐसा है जब जाति ही नहीं है तो व्यर्थ इतनी ऊर्जा को क्यों खर्च कर दिए। भाई हमलोग वेद को ही मानते हैं। कोई भी जाति के व्यक्ति के साथ हमलोग समान व्यवहार करेगें। दकियानूसी और रूढ़िवादी अगर गलती से भी समान व्यवहार नहीं करेंगे तो हमलोग समाजिक बहिष्कार करेगें। उसे पानी  नहीं पीने देगें। मंदिर नहीं जाने देगें। भाई रुको जाति व्यवस्था में भी तो यही होता था। रुको दूसरा रास्ता निकलते हैं ---------?????????????

भेदभाव शब्द को ही खत्म कर देते है तो अपने आप सारे समस्याओं का अंत हो जायेगा। मनुष्य हैं हम इंसान है कोई कुछ और नहीं है भाई

बस करो भाई ????????????????????????
इससे आगे मत बोलो ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

हमारे जीने का तरीका है भाई क्यूंकि हम इंसान हैं।

जीने के तरीक़ों में ही हमने सीखा है वो अपना है वो पराया है उसकी जाति तो इसकी जाति ???????///

आगे मत बोलो मेरी कोई गलती नहीं है ये समाज ही समझाया है। हम समाजिक प्राणी है इसीलिए तो ये सब जानते हैं ?????????????/





[1] http://www.prabhatkhabar.com/news/patna/bihar-lalu-prasad-yadav-nitish-kumar-issue-of-reservation-lalus-attack-10-big-things-to-know/1077559.html

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